सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु का ज्योतिषीय आंकलन -आचार्य अनुपम जौली

सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु का ज्योतिषीय आंकलन -आचार्य अनुपम जौली आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य के जीवन में समय-समय पर उतार चड़ाव, संघर्ष व ऐसी कठिनाइयां आ जाती हैं जिस कारण से वह अपना सुख-चैन खोकर मानसिक तनाव से भर जाता है और अवसादग्रस्त हो जाता है। वर्तमान वैश्विक प्रतिद्वंद्विता वाले युग में सुख-शांतिपूर्वक जीवन-जीना एक स्वप्न की भांति है। वैसे तो डिप्रेशन के कारण कमजोर मन, असफलता और आसक्ति है। अर्थात जो हम चाहते है उसके विपरीत घटनाओं का होना हमे अवसाद की तरफ ले जाता है l जीवन में संघर्ष तो सभी के साथ होता है परन्तु जिनकी जन्मपत्रिका में कमजोर और पीड़ित चंद्रमा होता है वो सफलता के शिखिर पर पहुंचकर भी कभी कभी मन से हार जाते है। किसी व्यक्ति के जीवन में अवसाद या डिप्रेशन के लिए मुख्य रूप से जो ग्रह उत्तरदायी होते हैं उनमें कमजोर चंद्रमा, राहु व शनि की भूमिका मुख्य होती है। सूर्य आत्मा का व चन्द्रमा मन का कारक होता है। जन्म पत्रिका का लग्न भाव शरीर और मस्तिष्क का परिचायक होता है। ऐसे में यदि लग्न पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो या चन्द्रमा अशुभ प्रभाव में हो और लग्न, लग्नेश या चन्द्र पर राहु या शनि का प्रभाव हो और इन ग्रहों पर किसी शुभ ग्रहों का प्रभाव न हो तो इस प्रकार की ग्रह स्थिति जातक को अवसादग्रस्त करने में सहायक होती है। सुशांत सिंह राजपूत का निधन या आत्महत्या 14 जून 2020 को उनके निवास स्थान पर हुई l आइये जानते है उनकी जन्मपत्रिका में ऐसे कौनसे योग थे जो सुशांत सिंह राजपूत का जन्म 21 जनवरी 1986, दिन के 11.56 को पटना में हुआ था l जिसके अनुसार उनका मेष लग्न और वृषभ राशी बनती है l गुरु, शुक्र और सूर्य राजयोग बना रहे है जिसमें गुरु नीच के और शुक्र अस्त है l नीच का गुरु नीच भंग राजयोग भी बना रहा है l शुक्र के अस्त होने और पंचम अधिपति सूर्य का पंचम से छठे अपनी शत्रु राशी में बैठने के कारण प्रेम संबंधों में सफलता का न मिलना दर्शाता है l मृत्यु के दिन गुरु – गुरु – राहू – शनि – शुक्र की दशा थी l 14 जून की मृत्यु के कारण : नीच के गुरु के साथ दशा में राहू का आना कष्टकर होता है l चंद्रमा केमद्रुम योग बना रहा है, जिसमे व्यक्ति धन से या मन से अपने को खली हाथ पता है l चंद्रमा पर शनि और नीच के गुरु की दृष्टि पड़ रही है l लग्न में राहू केतु के नक्षत्र में और केतु राहू के नक्षत्र में है l दशा में नीच गुरु का अंतर और उसमे प्रयतंत्र राहू का और मन को नष्ट करने वाले शनि की सूक्ष्म दशा और अंत में मारकेश शुक्र की प्राण दशा का होना l

0 comments

Leave a Reply